Buzzing Buzm
Thursday, May 17, 2012
हार-जीत
"इक कलम पकड़ कर सोचते
हैं
ज़िन्दगी की जंग जीत लेंगे
क्या खबर पदने वालों को
हम बहुत पहले मात खा चुके हैं "
Wednesday, May 16, 2012
सब्र
"कभी फुर्सत हो ज़रा सी ,
तो कह देना बस एक बार इशारे से
शायद दिल की कहानियों को
पल भर की राहत मिल जाये......"
Tuesday, May 15, 2012
नए बहाने
When the nights are not just seven hours without sun , the senses refuse to entertain any second thoughts and the silence speaks for itself!
"कागज़ और कलम से अब रातें इन्तिहाँ होती है
हसरतों की महफिलों को नया ठिकाना जो हासिल हुआ है "
खाली शामें
"
मसरूफियत अब यही तेरे नाम पे कुछ अर्ज़ करूँ
धूळ जमे पैमानों का, यही छलकता जाम है "
Thursday, May 10, 2012
चलो एक बार फिर से , अजनबी बन जाएँ हम दोनों
कोशिशें रुसवाइयों की नाकाम हो जाएँ , इल्तिजा दिल की अब ये सारी है
अजनबी बन के एक बार फिर से,कभी टकरा जाएँ हम दोनों
Wednesday, April 11, 2012
यादें तो उनकी आती हैं ,
जो ज़हन से मिटने की गुंजाईश रखते हैं ,
आपको जो याद मेरी आई ,
इस एह्सास का मैं क्या मतलब निकालूँ ??
Monday, April 9, 2012
तन्हाई में अकेले रहे तो क्या बात थी
मज़ा तो महफिलों में जुदाई का गम पीने मैं है
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